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और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से
मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही
के पास हैं और मै तो सिर्फ़ साफ़ साफ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला हूँ
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और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से
मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही
के पास ...
2 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बहुत बहुत बधाई ||
मुझे हिन्दू धर्म पसंद ही नही है यार इसीलिए मैंने कुछ दिन के लिए इस्लाम ग्रहण कर लिया है ओ.के.। प्लीज़ डोण्ट माइण्ड।
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