वेब मीडिया को स्वावलंबी बनाने की जरूरत | युग - ज़माना:
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बात अकेले बाबा रामदेव की नहीं , , बात कहावत ,, जैसी करनी , वैसी भरनी ,, के
चरितार्थ होने की है , यक़ीनन , जो जैसा करता है वैसा भरता है , क्योंकि एक
अदालत उपरवाले की होती है , वहां की लाठी में आवाज़ नहीं होती , कमोबेश
,सुप्रिम कोर्ट में बाबा रामदेव की ठगी , झूंठ , जुमलेबाज़ी ,, के मामले में चल
रही सुनवाई में जो उन्हें लताड़ मिल रही है , यह उनकी करतूतों का नसीब है
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बात अकेले बाबा रामदेव की नहीं , , बात कहावत ,, जैसी करनी , वैसी भरनी ,, के
चरितार्थ होने की है , यक़ीनन , जो जैसा करता है वैसा भरता है , क्योंकि एक
अदालत...
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